क्रिकेट जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले इंडियन प्रीमियर लीग के 10वें साल में कई बदलावों की दरकार महसूस होती है
पिछले साल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) शुरू होने से पहले ट्वेंटी-20 क्रिकेट के इस टूर्नामेंट को बेहद सख्त इम्तिहान माना जा रहा था। ऐसा मानना गलत भी नहीं था क्योंकि मार्च के आखिरी दिनों में जब यह टूर्नामेंट शुरू हुआ था, उस समय भारत के खिलाडिय़ों को एक के बाद एक दिग्गज अंतरराष्टï्रीय टीमों के खिलाफ बीस-बीस ओवरों के मुकाबले खेलते हुए तीन महीने हो चुके थे। उन तीन महीनों में भारत ने ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका को टी-20 मुकाबलों में धूल चटाई और बांग्लादेश में टी-20 एशिया कप में खिताबी जीत भी दर्ज की। उसके बाद भी उन्हें आराम नहीं मिला और टी-20 विश्व कप में सभी से दो-दो हाथ करते हुए टीम सेमीफाइनल तक पहुंचने में कामयाब रही। उसके बावजूद आईपीएल बेहद मनोरंजक एवं रोमांचक रहा।
उस आईपीएल की खास बात यह थी कि उच्चतम न्यायालय की तरफ से नियुक्त न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति की सिफारिशें आने के बाद वह पहला आईपीएल टूर्नामेंट था। खास बात यह भी थी कि उस टूर्नामेंट से ठीक पहले चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स की दिग्गज टीमों को टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया था। उनकी जगह दो नई टीमों राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स और गुजरात लॉयंस को शामिल किया गया था। ऐसी सूरत में 2016 के टूर्नामेंट की कामयाबी को लेकर चिंताएं होना लाजिमी था। चिंता उस समय बढ़ भी गई, जब उसे शुरुआत में टेलीविजन पर उतने दर्शक नहीं मिले, जितने उससे पिछले सालों में मिलते आए थे।
लेकिन दो हफ्ते के भीतर ही इस टी-20 लीग का खुमार एक बार फिर पूरे मुल्क पर चढ़ गया और टीवी रेटिंग एक बार फिर चढऩे लगीं। टूर्नामेंट खत्म होने पर पता चला कि लीग के दर्शकों की संख्या साल भर पहले के आंकड़े से तकरीबन 88 फीसदी बढ़कर 36.12 करोड़ तक पहुंच गई थी। टूर्नामेंट के पहले साल यानी 2008 के संस्करण में दर्शकों की संख्या से तुलना करें तो 2016 में तकरीबन ढाई गुना दर्शक आईपीएल को हासिल हुए थे। दर्शकों के साथ ही विज्ञापन से होने वाली कमाई के मामले में भी प्रदर्शन बहुत शानदार रहा। पिछले साल आईपीएल को प्रायोजकों के विज्ञापनों ने तकरीबन 1,100 करोड़ रुपये की आय हासिल हुई थी। इन आकंड़ों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आईपीएल अपने रास्ते में आने वाली तमाम बाधाओं से पार पाने में कामयाब रहा है। Read More
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