प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की योजना को शुरुआत में जन समर्थन मिला था लेकिन अब यह स्थिति सरकार पर भारी पड़ सकती है। हालांकि सरकार के सलाहकारों का दावा है कि नकदी संकट का बुरा दौर जल्दी ही खत्म हो जाएगा। नोटबंदी को लेकर लोगों के बीच बन रही नकारात्मक धारणा को दूर के लिए प्रधानमंत्री मध्य वर्ग और गरीबों के लिए नए वर्ष के अवसर पर योजनाओं की झड़ी लगाने की तैयारी में हैं।
अधिकारियों के मुताबिक 20 दिसंबर के बाद नकदी संकट दूर होने के संकेत मिलने लगेंगे और 10 जनवरी के बाद स्थिति में उल्लेखनीय सुधार आएगा क्योंकि तब तक 500 रुपये के पर्याप्त नोट चलन में आ जाएंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी आज संकेत दिया कि अगले 3 सप्ताह में स्थिति में सुधार आना चाहिए। नोटबंदी के बारे में लोगों में बनी नकारात्मक धारणा को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री और उनकी सरकार उन वर्गों के लिए कई योजनाओं की घोषणा कर सकती है जिन्हें नोटबंदी के कारण परेशानी हुई है। इनमें किसान, मध्य वर्ग (खासकर छोटे व्यापारी व उद्यमी) और युवा वर्ग शामिल है। इनमें से कुछ घोषणाएं 2 जनवरी को लखनऊ की जनसभा में हो सकती हैं। इन योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, आरएसएस नेतृत्व और सरकार के अहम मंत्रालयों के बीच विचार-विमर्श का दौर जारी है।
लखनऊ में 2 जनवरी को होने वाली मोदी की जनसभा पहले 24 दिसंबर को प्रस्तावित थी। इस दिन उत्तर प्रदेश में भाजपा की परिवर्तन यात्रा का लखनऊ में समापन होना है। लेकिन 31 दिसंबर को समाप्त हो रही नोटबंदी की समयसीमा को देखते हुए इसे आगे बढ़ाया गया है। उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव फरवरी-मार्च में होने हैं। मध्य वर्ग बजट से करों में राहत की उम्मीद लगाए बैठा है और कई मंत्रियों में सार्वजनिक तौर पर इसकी संभावना जताई है।
वरिष्ठ अधिकारी नोटबंदी के बाद काले धन को सफेद बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की रणनीति बनाने में जुटे हैं। आय कर विभाग का कहना है कि उसके पास पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं। ऐसे में सरकार यह संभावना तलाश रही है कि बड़ी मछलियों को ही निशाना बनाए और छोटी मछलियों को निकलने दिया जाए ताकि नोटबंदी के कारण हुए नुकसान की भरपाई हो सके। Read more
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